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अनुचित डीएक्टिवेशन अभी बंद करो!! 

अनुचित डीएक्टिवेशन – और अनुचित निष्कासन (नौकरी से निकलना) रोकने की मांग - दुनिया भर के ड्राइवरों को एकजुट करती है!  हमारी राष्ट्रीयता, धर्म, भाषा, लिंग या जातीयता चाहे जो हो, हम सभी उचित प्रक्रिया के बिना डीएक्टिवेशन/ निष्कासन को हमारी गरिमा पर हमला मानते हैं।

हमारी याचिका मांग करती है: 

  • किसी भी डीएक्टिवेशन से पहले उचित कारण, उचित प्रक्रिया और निष्पक्ष सुनवाई होनी चाहिए

  • कंपनी के प्रभाव और फंडिंग (वित्त पोषण) से स्वतंत्र

  • सभी ड्राइवरों के लिए पूर्ण अधिकार और सुरक्षा - जिसमें ड्राइवरों की यूनियन की लोकतांत्रिक चयन द्वारा प्रतिनिधित्व किए जाने का अधिकार शामिल है

  • सभी कामकाजी परिस्थितियों, दरों और विनियमों में ड्राइवरों की पसंद को महत्व दिया जाएगा

IAATW हमारी नौकरियों और हमारी गरिमा की रक्षा के लिए उचित प्रक्रिया और निष्पक्ष सुनवाई प्रक्रियाओं और जस्ट कॉज (न्यायोचित कारण) के मानकों को लागू करने के लिए हर स्तर पर सरकारों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। 

 

कृपया आज ही हस्ताक्षर करें!

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प्रति,


सभी राष्ट्रीय, राज्य और शहर की सरकारों के राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों, राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों, मेयरों, मंत्रियों/सचिवों/ श्रम और यातायात आयुक्तों, चुने गए प्रतिनिधियों और सरकारी विभागों के हेड


हम नीचे हस्ताक्षिरत लोग दुनिया के पैमाने पर यातायात क्षेत्र में काम करने वाली ऐप आधारित कंपनियों उबर, लिफ्ट, ग्रैब, ओला, गोजेक, दीदी, बोल्ट, करीम्स आदि के ड्राइवर हैं। हम सभी सरकारों-राष्ट्रीय, क्षेत्रीय, राज्य और शहर- से ऐप आधारित टैक्सी सेवाओं और विशेष रूप से चालकों को डिएक्टिवेट करने के मामले को तत्काल नियमित करने के अपने आह्वान पर एकताबद्ध हैं। एप आधारित टैक्सी सेक्टर में काम करने वाली सभी कंपनियां बगैर किसी प्रक्रिया का पालन किए अज्ञात कारणों से अपने ड्राइवरों को निकाल देती हैं। अक्सर निचली गुणवत्ता, बगैर किसी जांच, त्रुटि संभाव्य आटोमेशन और कई बार सवारियों के पक्षपाती शिकायतों के कारण ऐसा होता है। डिएक्टिवेशन का खतरा अभी तक का सबसे सीधा और हमारे सम्मान पर निरंतर होने वाला हमला है और हमें अक्सर उन यात्रियों का सामना करना होता है जो सीधे-सीधे गलत और पक्षपाती होते हैं यहां तक कि वो अपने पूरे होशोहवास में भी नहीं होते और कंपनी के अधिकारी केवल यह जानते हैं कि अपनी इच्छा पर चालकों को निकालना उनकी कंपनी के बिजनस मॉडल का अभिन्न हिस्सा है। गाड़ी चलाने के दौरान गलत तरीके से डिएक्टिवेट होने का खतरा एक तलवार की तरह हमेशा हमारे सिर पर लटका रहता है।


गरीबी के स्तर की आय के साथ गलत तरीके से निकाले जाने के खतरे और उसके लागू होने को शिष्ट भाषा में टेक्नालाजिकल रूप देने के लिए ‘डिएक्टिवेशन’ कहा जाता है। यह इस समय दुनिया के पैमाने पर चालकों के सामने सबसे बड़ी समस्या बना हुआ है। आज हमारी आवाज राष्ट्रों और शहरों, धर्मों और भाषाओं, नृजातीय समूहों और लिंगों के पार एकजुट है। निकाले जाने से पहले दुनिया के सारे मजदूरों के पास हमेशा से एक साफ-साफ प्रक्रिया का बुनियादी अधिकार था। तकरीबन बगैर किसी अपवाद के मजदूरों के साथ इस तरह का व्यवहार टीएनसी/ राइडशेयर कंपनियों द्वारा कांट्रेक्ट के जरिये संचालित किया गया जो इच्छा के आधार पर निकालने की उनकी गलत मंशा को दिखाता है। इसके अलावा गलत तरीके से वर्गीकरण, बुनियादी अधिकारों का नकार और आक्रामक तरीके से निम्न गुणवत्ता वाले आटोमेशन के जरिये भी इसको लागू किया जाता है। और इस तरह से एक ऐप आधारित ट्रांसपोर्टेशन उद्योग जैसे वैश्विक उद्योग को इस तरह की आक्रामक कार्रवाइयों के बाद भी बच निकलने की छूट दे दी जाती है। यह अपने तरीके से उन सभी सरकारों के दामन पर एक काला धब्बा है जिसके पास इस उद्योग के नियमन की क्षमता है।


हम यहां इस पर जोर देना चाहेंगे की हमारी स्थिति बेहद दयनीय है। न केवल हममें से बहुत ज्यादा लोग गरीबी के स्तर पर काम कर रहे हैं बल्कि रोजाना सिर पर लटकी गहरी अनिश्चितता अब बर्दाश्त के बाहर है और वास्तव में यह हमारे सम्मान पर हमला है। हाल में दक्षिणी भारत के एक शहर हैदराबाद में एक ड्राइवर को इसलिए निकाल दिया गया क्योंकि कंपनी का चेहरा पहचानने वाला साफ्टवेयर काम नहीं कर रहा था। कोविड महामारी के दौरान भोजन की कमी के चलते ड्राइवर का वजन घट गया था और उसने अपनी दाढ़ी भी बढ़ा ली थी। न केवल साफ्टवेयर इसको अपनी प्रक्रिया में शामिल कर सका बल्कि उससे भी बुरा यह हुआ कि इस गलती को ठीक करने के किसी प्रयास को कंपनी द्वारा खारिज कर दिया गया। इस तरह की घटनाएं और उसके साथ प्रकाशित शोध यह बताता है कि चेहरे को पहचानने वाले साफ्टवेयर के भीतर ही गैर काकेशियन चेहरों के प्रति एक पक्षपाती रुख होता है जो इस बात की तरफ इशारा करता है कि तत्काल बिल्कुल साफ प्रकाश में एक गैर पक्षपाती प्रक्रिया को लागू करने की जरूरत है। उसी तरह से कैलीफोर्निया में एक अफ्रीकी अमेरिकी ड्राइवर का एक गोरे यात्री से सामना हुआ जिसने बिल्कुल एक गैरबुनियादी और रंगभेदी शिकायत की कि ड्राइवर शराब पिये हुए था। ड्राइवर अल्कोहल की जांच के लिए एक पुलिस ठिकाने पर जाने के लिए तैयार था लेकिन यात्री के पक्षपाती रवैये को देखते हुए यह कोई समाधान नहीं था।


हालांकि हमारे सामने समाधान बिल्कुल साफ है:


 1-वह यह कि शहर, राज्य, क्षेत्र और या फिर राष्ट्रीय सरकारों द्वारा मान्य प्रक्रिया को लागू किया जाए क्योंकि ड्राइवर चालकों को लाइसेंस राज्य के पदाधिकारियों द्वारा दिया गया है जिसमें सुनने की प्रक्रिया भी शामिल है जिसे सुना जाना चाहिए।


  2-इस तरह की मान्य प्रक्रिया का नियमन जहां भी संभव हो कर्मचारी-मालिक कानून के ढांचे के तहत लिया जा सकता है और एक स्टैंडएलोन विनियमन के रूप में जहां ऐसा वर्गीकरण आसानी से उपलब्ध नहीं है।


   3-इस तरह का नियमन आपके देश, राज्य और शहर में ड्राइवर मजदूरों के साथ विचार-विमर्श के बाद ही लाया जाना चाहिए।


आईएएटीडब्ल्यू ड्राइवरों की आवाज का प्रतिनिधित्व करने के लिए प्रतिबद्ध है इसलिए दुनिया के किसी भी हिस्से में किसी भी सरकार को इस तरह के नियमन को लागू करवाने में सहयोग करने के लिए तैयार है।


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